BA Semester-1 Raksha Evam Strategic Study - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-1 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-1 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :250
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2635
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बीए सेमेस्टर-1 रक्षा एवं सैन्य अध्ययन

अध्याय - 4

युद्ध के सिद्धान्त

(Principles of War)

 

प्रश्न- युद्ध के विभिन्न सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।

अथवा
युद्ध के सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए। सिद्ध कीजिए कि युद्ध के सिद्धान्तों का अध्ययन तथा मनन करना आवश्यक है।

उत्तर -

युद्ध के सिद्धान्त
(Principles of War)

युद्ध एक सामाजिक तथ्य है अतः यह सामाजिक विकास के साथ-साथ विकसित होता रहता है। युद्ध के साधनों एवं शास्त्रों में भी वैज्ञानिक एवं तकनीकी क्षेत्र के विकास के साथ परिवर्तन होता रहा है, परन्तु युद्ध के तत्वों में कोई परिवर्तन नहीं होता है और इसी आधार पर युद्ध के सिद्धान्तों का प्रतिपादन किया गया है। संक्षेप में यह कह सकते हैं कि समय-समय पर विकसित होने वाले स्त्रातेजिक विचारों के सार तत्व को जब सैद्धान्तिक रूप में प्रकट किया जाये तो उसे युद्ध के सिद्धातों का नाम दिया जाता है।

युद्ध के सिद्धान्तों को युद्ध में विजय प्राप्त करने की प्रतिश्रुति के रूप में नहीं मानना चाहिए क्योंकि युद्ध के सिद्धान्त विजय के सिद्धान्त नहीं है। परन्तु यदि इन सिद्धान्तों का पालन किया जाये तो युद्ध में विजय की सम्भावना अधिक होती है, जबकि इनकी अवहेलना पर पराजय की सम्भावना बढ़ जाती है।

युद्ध के सिद्धान्त सर्वथा निश्चित और अटल नहीं होते। ये सिद्धांत एक विज्ञान की तरह सार्वभौमिक नहीं है। जो निश्चित परिणाम दे सकते हो। लेकिन इनका पालन सहायक होता है। इसलिए एक सैन्य अधिकारी को इन सिद्धान्तों को ध्यान में रखकर ही कोई कार्यवाही करनी चाहिए।

इस आधार परं अपना मत स्पष्ट करते हुए क्लाजबिट्ज ने कहा है, "युद्ध के निर्णयों में जितना हाथ भाग्य का होता है उतना मानव जीवन के किसी अन्य क्षेत्र का नहीं होता है। युद्ध सदैव ही अनिश्चितता के कोहरे से घिरा रहता है। युद्ध क्रिया में जिस तीन-चौथाई भाग की गणना की जाती है। वह पूर्ण अथवा आंशिक रूप से अनिश्चितता के बादलों की ओट में ही रहते हैं। "

इस प्रकार युद्ध में संयोग का बहुत बड़ा हाथ होता है। अतः युद्ध सिद्धान्त कोई ऐसा सूत्र नहीं है जिसमें प्रत्येक युद्धों को पिरोया जा सके। एक ही नियम किसी युद्ध के लिए विजय का मार्ग बनता है, साथ ही साथ वही नियम या सिद्धान्त किसी दूसरे युद्ध के लिए हार का कारण बन जाता है।

युद्ध के सिद्धान्तों का विकास

सर्वप्रथम स्विट्जरलैण्ड के सैन्य विचारक जोमिनी ने युद्ध के सिद्धान्तों को एक सुव्यवस्थित रूप प्रदान किया। उसने अपने समय के प्रसिद्ध मार्शल डी सैक्स जैसे प्रमुख विचारकों के मतों का खण्डन करते हुए कहा है कि, "युद्ध एक अनिश्चिततापूर्ण विज्ञान है। युद्ध एक ऐसी स्थिति है जिसमें पूर्ण निश्चितता के साथ यह नहीं कहा जा सकता कि उसका अगला कदम क्या होगा? प्रत्येक विज्ञान के कुछ सिद्धान्त है, किन्तु युद्ध के अभी तक कोई सिद्धान्त नहीं है

विभिन्न सैन्य विचारकों ने युद्ध के अपने-अपने सिद्धान्तों का निर्धारण किया है-

जोमिनी के अनुसार युद्ध के सिद्धांत

(i) युद्धनीतिक पहल का महत्व
(ii) संकेन्द्रण
(iii) पीछा करने का महत्व
(iv)आश्चर्यचकित करना

जनरल फुलर के अनुसार युद्ध के सिद्धान्त

(i) उद्देश्य का निर्धारण करना व उस पर स्थिर रहना
(ii) आक्रमणात्मक कार्यवाही
(iii) सुरक्षा
(iv)आश्चर्य एवं विस्मय
(v) सहयोग
(vi)गतिशीलता तथा लचीलापन
(vii) संकेन्द्रण
(viii) बल-मितव्ययिता

फील्ड मार्शल मान्टगुमरी के अनुसार युद्ध के सिद्धान्त -

(i) लक्ष्य का चुनाव तथा उस पर स्थिर रहना
(ii) केन्द्रीयकरण
(iii) चकमा
(iv) सहयोग
(v) सेना की मितव्ययिता
(vi) सुरक्षा
(vii) हाँसला बनाये रखना
(viii) गतिशीलता
(ix) प्रशासन

क्लाजविट्ज के अनुसार युद्ध के सिद्धान्त -

(i) मानसिक स्थिति
(ii) आश्चर्यान्वित
(iii) गतिशीलता
(iv) निर्णयात्मक संग्राम
(v) आरक्षित बल
(vi) आक्रमणात्मक कार्यवाही
(vii) जनमत
(viii) शक्ति की मितव्ययिता

संयुक्त राज्य अमेरिका की सेना के द्वारा निम्नलिखित सिद्धान्त अपनाये गये हैं-

(i) उद्देश्य का सिद्धान्त
(ii) आक्रमण का सिद्धान्त
(iii) सरलता का सिद्धान्त
(iv) कमाण्ड की एकता का सिद्धान्त
(v) एकत्र होने का सिद्धान्त
(vi) शक्ति की मितव्ययिता का सिद्धान्त 
(vii) कूटचाल का सिद्धान्त
(viii) विस्मय का सिद्धान्त
(ix) सुरक्षा का सिद्धान्त

भारत में युद्ध के सिद्धान्त - इसी प्रकार भारत में सामान्य रूप से युद्ध के निम्नलिखित दस सिद्धान्तों को मान्यता प्राप्त हैं-

(Base word - Sma Mosscecfa)

Sma - Selection and Maintenence of Aim (उद्देश्य का निर्धारण एवं निर्वाह)
M-   Maintenance of Morale  - (उत्साह बनाये रखना)
O - Offensive Action ( आक्रमणात्मक कार्यवाही)
S - Surprise (चकमा)
S - Security (सुरक्षा)
C - Concentration of force (संकेन्द्रण)
E - Economy of force (शक्ति की मितव्ययिता)
C - Co-operation (सहयोग)
F - Flexibility (गतिशीलता एवं लचीलापन)
A - Administration (प्रशासन)

इन सिद्धान्तों को भली प्रकार समझने के लिए हमें इन सिद्धान्तों का विस्तृत अध्ययन करना आवश्यक है-

1. उद्देश्य का निर्धारण एवं निर्वाह (Selection and Maintenance of Aim) सभी विद्वानों ने युद्ध के सिद्धान्तों में उद्देश्य के निर्धारण एवं उसके निर्वाह को प्राथमिक स्थान दिया है। इसके लिए परम आवश्यक है कि-

(i) उद्देश्य पूर्व निर्धारित होना चाहिए, जिससे युद्ध की बदलती हुई विषम परिस्थितियों के अनुरूप आवश्यकतानुसार संशोधन सम्भव हो।

(ii) एक समय में एक से अधिक उद्देश्य हानिकारक हो सकते है।

(iii) सैनिक उद्देश्य को भौगोलिक लक्ष्य में नहीं बदलना चाहिए।

(iv) शत्रु की भ्रामक चालों से सदैव सतर्क रहना चाहिये।

इस सिद्धान्त के महत्व की व्याख्या करते हुए फील्ड मार्शल मांटगोमरी ने कहा है कि, "युद्ध का सर्वाधिक महत्वपूर्ण सिद्धान्त सुविचारित आधार पर लक्ष्य का चयन कर अबाह्य रूप से उसको प्राप्त करने का प्रयास है। "

2. मनोबल बनाये रखना (Maintenance of Morale) युद्ध के समय सैन्य संगठनों एवं सैनिकों में इसकी प्रबल भावना का होना अति आवश्यक है। मनोबल के महत्व को स्पष्ट करते हुए जनरल मार्शल ने कहा है कि "आप विश्व की समस्त वस्तुएं प्राप्त कर सकते हैं किन्तु मनोबल के बिना यह ज्यादातर प्रभावहीन होगी।" इसी प्रकार नेपोलियन कहते हैं-"मनोबल भौतिक शक्ति *से उसी प्रकार महत्वपूर्ण है जैसे एक से तीन।" (Morale is physical as three is to one) | मनोबल को बढ़ाने के लिए आत्मसम्मान की भावना, सामूहिक रूप से कार्य करने की भावना, नेतृत्व तथा अनुशासन जैसे तत्वों का होना अति आवश्यक है।

3. आक्रमणात्मक कार्यवाही (Offensive Action ) - आक्रामक कार्यवाही का तात्पर्य सैन्य शक्ति का सही समय एवं स्थान पर अधिकतम क्षमता के साथ इस प्रकार प्रयोग करने से है कि युद्ध का निर्णय आक्रामक दल के पक्ष में रहे। इसके लिए अपने लिए लाभदायक परिस्थितियों का निर्माण किया जाये, सैन्य दलों का मनोबल ऊँचा किया जाये तथा सैन्य अधिकारियों को अपनी बुद्धि तथा विविध तथा युद्ध कौशल के प्रयोग की स्वतन्त्रता दी जाये, जिसे वे शत्रु पर दबाव डालकर अपनी इच्छा मनवा सके। "

आक्रामक कार्यवाही विजय प्राप्त करने में अधिक सहायक होती है। मार्शल फौच के शिष्यों ने तो यहाँ तक कह दिया है कि, "सुरक्षात्मक संघर्ष कभी भी विजय प्रदान नहीं कर सकता है।"

4. चकमा (Surprise) - विस्मय के सिद्धान्त का अर्थ रहस्यात्मक ढंग से आवरित आधार है। योजना तथा तैयारियों को गुप्त रखकर शास्त्रास्त्र, स्त्रातेजी एवं समरतंत्र के क्षेत्र में नवीन प्रयोगों के द्वारा शत्रु को असन्तुलित करना है। हैगले का मत है कि "चकमा युद्ध का सर्वाधिक प्रभावशाली तत्व है।

5. सुरक्षा (Security) सुरक्षा का तात्पर्य शत्रु की विस्मयपूर्ण चालों के विरुद्ध सेना, संसाधनों एवं संचार साधनों की सुरक्षा करने से है। सुरक्षा के दो पक्ष है शत्रु की अप्रत्याशित कार्यवाही से सुरक्षा तथा अपनी योजना को कार्यान्वित करते समय शत्रु की जवाबी कार्यवाही से सुरक्षा इन दोनों ही परिस्थितियों में सुरक्षा का ध्यान रखना समान महत्व रखता है तथा इसकी अवहेलना परिणाम को प्रतिकूल बनाती है। इसलिए युद्ध के विभिन्न सिद्धान्तों में सुरक्षा का अत्याधिक महत्व है।

6. संकेन्द्रण (Concentration of Force) - संकेन्द्रण के सिद्धान्त का तात्पर्य शक्ति के बिखराव की अपेक्षा सैन्य दलों को इस प्रकार लगाने से हैं कि निर्णायक समय तथा स्थान पर शत्रु की अपेक्षा अधिक एवं श्रेष्ठ शक्ति को एकत्र करके शत्रु को पराजित किया जाये।

नेपोलियन के अनुसार "युद्ध कला को एक सिद्धान्त तक ही सीमित किया जा सकता है एक स्थान पर शत्रु की अपेक्षा अधिक जन शक्ति इकट्ठा करना।

संकेन्द्रण के साथ ही यह भी आवश्यक है कि शत्रु को संकेन्द्रित होने से रोका जाये, तभी वास्तविक लाभ प्राप्त हो सकता है। नेपोलियन का March divided, fight united का सिद्धान्त उसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए बना था।

7. शक्ति की मितव्ययिता (Economy of Force) - युद्ध काल में कम से कम शक्ति एवं संसाधनों का प्रयोग करके शत्रु को अधिकाधिक हानि पहुँचाना और सफलता प्राप्त करना ही शक्ति की मितव्ययिता का उद्देश्य है। 'इस सिद्धान्त के प्रयोग से न केवल युद्ध में सफलता प्राप्त करने में ही सहायता मिलती है बल्कि युद्ध के बाद आर्थिक समस्याओं को सुलझाने में भी सहायता मिलती है अर्थात शान्ति पर भी विजय प्राप्त की जा सकती है।

8. सहयोग (Cooperation) सहयोग का तात्पर्य राष्ट्र के विभिन्न अंगों तथा सेवाओं का एक-दूसरे के साथ मिलकर कार्य करने से हैं। अत: सहयोग के सिद्धान्त में निम्नलिखित बातों को सम्मिलित किया जाता है- (i) राष्ट्रीय नीति एवं स्त्रातेजी में सहयोग

(ii) विभिन्न सेनाओं में सहयोग.

(iii) लड़ाकू एवं सेवी सैन्य दलों में सहयोग आधुनिक युद्धों में सहयोग के सिद्धान्त का महत्व

इस तथ्य से स्थापित हो जाता है कि आधुनिक युद्ध की प्रकृति समग्र है और इसे सहयोगिक तथा समन्वित आधार पर ही सम्पादित किया जा सकता है।

9. गतिशीलता एवं लचीलापन (Mobility and Flexibility) - आधुनिक युद्ध गतिशीलता उत्पन्न होने के कारण आधुनिक युद्ध का क्षेत्र विस्तृत हो गया है। गतिशीलता के अन्तर्गत ' लोच अथवा परिवर्तनशीलता एवं पैतरेबाजी के तत्व सम्मिलित है। नेपोलियन ने गतिशीलता पर बल देते हुए कहा है कि - "There are three requisites for winning a war speed speed and speed" इसके अतिरिक्त योजनाएं परिस्थिति के अनुसार परिवर्तन होनी चाहिए। एक अपरिवर्तनशील योजना के परिणामस्वरूप गतिशीलता का सिद्धान्त ढंग से लागू नहीं हो पाता और सफलता की भावना धूमिल हो सकती है।

10, प्रशासन (Administration) - कोई भी सैन्य दल अत्याधिक कुशलतापूर्वक सक्षम ढंग से तभी कार्यरत हो सकता है जबकि उसका प्रशासनिक ढांचा एवं नियन्त्रण उचित प्रकार का है। प्रशासन के महत्व को समझाते हुए प्राचीन यूनानी दार्शनिक सुकरात ने कहा था- "एक सेनापति को ज्ञात होना चाहिए कि उसके सैनिकों को खाद्यान्न एवं यौद्धिक सामग्री कैसे और कहाँ से प्राप्त होगी। "

युद्ध काल में प्रशासन के आधार पर ही योजना को निर्धारित किया जाता है इसलिए उचित प्रशासनिक व्यवस्था हेतु दूरदर्शिता, मितव्ययिता, परिवर्तनशीलता, सरलता, सहयोग के सिद्धान्तों का पालन करना आवश्यक है। इस प्रकार हम देखते हैं कि प्रशासन की सफलता यौद्धिक सफलता को आधार प्रदान करती है, अतः इसकी उचित व्यवस्था करना आवश्यक है।

निष्कर्ष (Conclusion) - युद्ध के इन विभिन्न सिद्धान्तों का अध्ययन करके हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि सामान्य रूप से उपयुक्त सिद्धान्तों को युद्ध में आधारभूत सिद्धान्तों के रूप में मान्यता प्राप्त हैं जिनका यौद्धिक संक्रियात्मक नियोजन की प्रक्रिया का सम्पादन उच्च सेनानायकों के द्वारा ही किया जाता है, अतः युद्ध के सिद्धान्त एक प्रकार से स्तरीय सेनानायकों के अनुप्रयोग के क्षेत्राधिकार में आते हैं। इन दस सिद्धान्तों में उपादेयक वरीयता का निर्धारण युद्ध की परिस्थितियों और उभयक्षीय सेनानायकत्व की क्षमता पर निर्भर करता है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- स्त्रातेजी अथवा कूटयोजना (Strategy) का क्या अभिप्राय है? इसकी विभिन्न परिभाषाओं की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
  2. प्रश्न- स्त्रातेजी का उद्देश्य क्या है? स्त्रातेजी के उद्देश्यों की पूर्ति के लिये क्या उपाय किये जाते हैं?
  3. प्रश्न- स्त्रातेजी के सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
  4. प्रश्न- महान स्त्रातेजी पर एक लेख लिखिये तथा स्त्रातेजी एवं महान स्त्रातेजी में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
  5. प्रश्न- युद्ध कौशलात्मक भूगोल से आप क्या समझते हैं? सैन्य दृष्टि से इसका अध्ययन क्यों आवश्यक है?
  6. प्रश्न- राष्ट्रीय नीति के साधन के रूप में युद्ध की उपयोगिता पर प्रकाश डालिये।
  7. प्रश्न- स्त्रातेजी का अर्थ तथा परिभाषा लिखिये।
  8. प्रश्न- स्त्रातेजिक गतिविधियाँ तथा चालें किसे कहते हैं तथा उनमें क्या अन्तर है?
  9. प्रश्न- महान स्त्रातेजी (Great Strategy) क्या है?
  10. प्रश्न- पैरालिसिस स्त्रातेजी पर प्रकाश डालिये।
  11. प्रश्न- युद्ध की परिभाषा दीजिए। इसकी विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  12. प्रश्न- युद्धों के विकास पर एक विस्तृत लेख लिखिए।
  13. प्रश्न- युद्ध से आप क्या समझते है? युद्ध की विशेषताएँ बताते हुए इसकी सर्वव्यापकता पर प्रकाश डालिए।
  14. प्रश्न- युद्ध की चक्रक प्रक्रिया (Cycle of war) का उल्लेख कीजिए।
  15. प्रश्न- युद्ध और शान्ति में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  16. प्रश्न- युद्ध से आप क्या समझते हैं?
  17. प्रश्न- वैदिककालीन सैन्य पद्धति एवं युद्धकला का वर्णन कीजिए।
  18. प्रश्न- राजदूतों के कर्तव्यों का विशेष उल्लेख करते हुए प्राचीन भारत की युद्ध कूटनीति पर एक निबन्ध लिखिये।
  19. प्रश्न- समय और कालानुकूल कुरुक्षेत्र के युद्ध की अपेक्षा रामायण का युद्ध तुलनात्मक रूप से सीमित व स्थानीय था। कुरुक्षेत्र के युद्ध को तुलनात्मक रूप में सम्पूर्ण और 'असीमित' रूप देने में राजनैतिक तथा सैन्य धारणाओं ने क्या सहयोग दिया? समीक्षा कीजिए।
  20. प्रश्न- वैदिक कालीन "दस राजाओं के युद्ध" का वर्णन कीजिये।
  21. प्रश्न- महाकाव्यों के काल में युद्धों के वास्तविक कारण क्या होते थे?
  22. प्रश्न- महाकाव्यों के काल में युद्ध के कौन-कौन से नियम होते थे?
  23. प्रश्न- महाकाव्यकालीन युद्ध के प्रकार एवं नियमों की विवेचना कीजिए।
  24. प्रश्न- वैदिक काल के रण वाद्य यन्त्रों के बारे में लिखिये।
  25. प्रश्न- पौराणिक काल में युद्धों के क्या कारण थे?
  26. प्रश्न- प्राचीन भारतीय सेना के युद्ध के नियमों को बताइये।
  27. प्रश्न- युद्ध के विभिन्न सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
  28. प्रश्न- युद्धों के सिद्धान्तों में प्रशासन (Administration) का क्या महत्व है?
  29. प्रश्न- नीति के साधन के रूप में युद्ध के प्रयोग पर सविस्तार एक लेख लिखिए।
  30. प्रश्न- राष्ट्रीय नीति के साधन के रूप में युद्ध की उपयोगिता पर प्रकाश डालिये।
  31. प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति के निर्माण में युद्ध की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
  32. प्रश्न- अतीत को युद्धों की तुलना में वर्तमान समय में युद्धों की संख्या में कमी का क्या कारण है? प्रकाश डालिए।
  33. प्रश्न- आधुनिक युद्ध की प्रकृति और विशेषताओं की विस्तार से व्याख्या कीजिए।
  34. प्रश्न- आधुनिक युद्ध को परिभाषित कीजिए।
  35. प्रश्न- गुरिल्ला स्त्रातेजी पर माओत्से तुंग के सिद्धान्तों का उल्लेख करते हुए गुरिल्ला युद्ध के चरणों पर प्रकाश डालिए।
  36. प्रश्न- चे ग्वेरा के गुरिल्ला युद्ध सम्बन्धी विभिन्न विचारों का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  37. प्रश्न- गुरिल्ला युद्ध (छापामार युद्ध) के उद्देश्यों का वर्णन कीजिए तथा गुरिल्ला विरोधी अभियान पर प्रकाश डालिए।
  38. प्रश्न- प्रति विप्लवकारी (Counter Insurgency) युद्ध के तत्वों तथा अवस्थाओं पर प्रकाश डालिए।
  39. प्रश्न- चीन की कृषक क्रान्ति में छापामार युद्धकला की भूमिका पर अपने विचार लिखिए।
  40. प्रश्न- चे ग्वेरा ने किन तत्वों को छापामार सैन्य संक्रिया हेतु परिहार्य माना है?
  41. प्रश्न- छापामार युद्ध कर्म (Gurilla Warfare) में चे ग्वेरा के योगदान की विवेचना कीजिए।
  42. प्रश्न- गुरिल्ला युद्ध में प्रचार की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
  43. प्रश्न- गुरिल्ला युद्ध कर्म की स्त्रातेजी और सामरिकी पर प्रकाश डालिये।
  44. प्रश्न- छापामार युद्ध को परिभाषित करते हुए इसके सम्बन्ध में चे ग्वेरा की विचारधारा का वर्णन कीजिए।
  45. प्रश्न- लेनिन की गुरिल्ला युद्ध-नीति की विवेचना कीजिए।
  46. प्रश्न- गुरिल्ला युद्ध क्या है?
  47. प्रश्न- मनोवैज्ञानिक युद्ध कर्म पर एक निबन्ध लिखिए।
  48. प्रश्न- आधुनिक युद्ध क्या है? 'आधुनिक युद्ध अन्ततः मनोवैज्ञानिक है' विस्तृत रूप से विवेचना कीजिए।
  49. प्रश्न- सैन्य मनोविज्ञान के बढ़ते प्रभाव क्षेत्र का वर्णन कीजिए।
  50. प्रश्न- मनोवैज्ञानिक युद्ध के कौन-कौन से हथियार हैं? व्याख्या कीजिए।
  51. प्रश्न- प्रचार को परिभाषित करते हुए इसके विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  52. प्रश्न- अफवाह (Rumor) क्या है? युद्ध में इसके महत्व का उल्लेख करते हुए अफवाहों को नियंत्रित करने की विधियों का वर्णन कीजिए।
  53. प्रश्न- आतंक (Panic) से आप क्या समझते हैं? आंतंक पर नियंत्रण पाने की विधि का वर्णन कीजिए।
  54. प्रश्न- भय (Fear) क्या है? युद्ध के दौरान भय पर नियंत्रण रखने वाले विभिन्न उपायों का वर्णन कीजिए।
  55. प्रश्न- बुद्धि परिवर्तन (Brain Washing) क्या हैं? बुद्धि परिवर्तन की तकनीकों तथा इससे बचने के उपायों का उल्लेख कीजिए।
  56. प्रश्न- युद्धों के प्रकारों का उल्लेख करते हुए विशेष रूप से मनोवैज्ञानिक युद्ध का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  57. प्रश्न- युद्ध की परिभाषा दीजिए। युद्ध के सामाजिक, राजनैतिक, सैन्य एवं मनोवैज्ञानिक कारणों की विवेचना कीजिए।
  58. प्रश्न- कूटनीतिक प्रचार (Strategic Propaganda ) एवं समस्तान्त्रिक प्रचार (Tactical Propaganda ) में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
  59. प्रश्न- प्रचार एवं अफवाह में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  60. प्रश्न- मनोवैज्ञानिक युद्ध की उपयोगिता बताइये।
  61. प्रश्न- युद्ध एक आर्थिक समस्या के रूप में विवेचना कीजिए।
  62. प्रश्न- आर्थिक युद्ध की परिभाषा दीजिए। आर्थिक युद्ध कर्म पर एक निबन्ध लिखिए।
  63. प्रश्न- आधुनिक युद्ध राजनीतिक सैनिक कारणों की अपेक्षा सामाजिक आर्थिक कारकों के कारण अधिक होते हैं। व्याख्या कीजिए।
  64. प्रश्न- आर्थिक क्षमता से आप क्या समझते हैं?
  65. प्रश्न- आधुनिक युद्ध में आर्थिक व्यवस्था का महत्व बताइये।
  66. प्रश्न- युद्ध को प्रभावित करने वाले तत्वों में से प्राकृतिक संसाधन पर प्रकाश डालिए।
  67. प्रश्न- युद्ध कौशलात्मक आर्थिक क्षमताएँ व दुर्बलताएँ बताइये।
  68. प्रश्न- युद्धोपरान्त उत्पन्न विभिन्न आर्थिक समस्याओं का विश्लेषण कीजिये
  69. प्रश्न- युद्ध की आर्थिक समस्यायें लिखिए?
  70. प्रश्न- युद्ध के आर्थिक साधन क्या हैं?
  71. प्रश्न- परमाणु भयादोहन के हेनरी किसिंजर के विचारों की व्याख्या कीजिये।
  72. प्रश्न- आणविक भयादोहन पर एक निबन्ध लिखिये।
  73. प्रश्न- परमाणु भयादोहन और रक्षा के सन्दर्भ में निम्नलिखित सैन्य विचारकों के विचार लिखिए। (i) आन्द्रे ब्यूफ्रे (Andre Beaufre), (ii) वाई. हरकाबी (Y. Harkabi), (iii) लिडिल हार्ट (Liddle Hart), (iv) हेनरी किसिंजर (Henery Kissinger) |
  74. प्रश्न- परमाणु युग में सशस्त्र सेनाओं की भूमिका की विस्तृत समीक्षा कीजिए।
  75. प्रश्न- मैक्यावली से परमाणु युग तक के विचारों एवं प्रचलनों की विवेचना कीजिए।
  76. प्रश्न- आणविक युग में युद्ध की आधुनिक स्रातेजी को कैसे प्रयोग किया जायेगा?
  77. प्रश्न- 123 समझौते पर विस्तार से लिखिए।
  78. प्रश्न- परमाणविक युद्ध की प्रकृति एवं विशिष्टताओं का वर्णन कीजिए।
  79. प्रश्न- आणविक शीत से आप क्या समझते हैं?
  80. प्रश्न- नाभिकीय तनाव को स्पष्ट कीजिए।
  81. प्रश्न- परमाणु बम का प्रथम बार प्रयोग कब और कहाँ हुआ?
  82. प्रश्न- हेनरी किसिंजर के नाभिकीय सिद्धान्त का मूल्यांकन कीजिए।
  83. प्रश्न- व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबन्ध सन्धि (C.T.B.T) से आप क्या समझते हैं?
  84. प्रश्न- हरकावी के नाभिकीय भय निवारण- सिद्धान्त का मूल्यांकन कीजिए।
  85. प्रश्न- आणविक युग पर प्रकाश डालिए।
  86. प्रश्न- हर्काबी के नाभिकीय युद्ध संक्रिया सम्बन्धी विचारों की समीक्षा कीजिए।
  87. प्रश्न- रासायनिक तथा जैविक अस्त्र क्या हैं? इनके प्रयोग से होने वाले प्रभावों की विवेचना कीजिए।
  88. प्रश्न- रासायनिक युद्ध किसे कहते हैं? विस्तार से उदाहरण सहित समझाइए।
  89. प्रश्न- विभिन्न प्रकार के रासायनिक हथियारों पर प्रकाश डालिए।
  90. प्रश्न- जैविक युद्ध पर एक निबन्ध लिखिए।
  91. प्रश्न- रासायनिक एवं जैविक युद्ध कर्म से बचाव हेतु तुलनात्मक अध्ययन कीजिए।
  92. प्रश्न- रासायनिक एवं जीवाणु युद्ध को समझाइये |
  93. प्रश्न- जनसंहारक अस्त्र (WMD) क्या है?
  94. प्रश्न- रासायनिक एवं जैविक युद्ध के प्रमुख आयामों पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
  95. प्रश्न- विश्व में स्थापित विभिन्न उद्योगों में रासायनिक गैसों के उपयोग एवं दुष्प्रभाव परप्रकाश डालिए।
  96. प्रश्न- प्रमुख रासायनिक हथियारों के नाम एवं प्रभाव लिखिए।

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